Friday, September 30, 2011

एक वोट की कीमत इस देश का भविष्य है


एक वोट की कीमत इस देश का भविष्य है.. 
एक वोट जिसके लिए हम देशभक्त चिंतित रहते हैं कि ग़लत पार्टी के पक्ष में मत न पड़ें, वो वोट ५० रुपये में बिक जाता है.
एक वोट जिसको एक गरीब अज्ञान पाँच साल में एक बार मिलने वाली शराब की बोतल और दावत समझता है.
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भारत माँ के विकास के आगे सबसे बड़ा सवाल और सबसे बड़ी समस्या यह बिका और बहका हुआ "एक वोट" ही है. आपके , मेरे और हमारे राष्ट्रपति - प्रधानमंत्री का वोट भी उस अनपढ़ - अज्ञान के वोट के बराबर है जो इन भ्रष्ट राजनेताओं के जाल में आ जाते हैं. मैं रोटरी क्लब का पुराना सदस्य हूँ, वहाँ भी जब चुनाव होते हैं तो हर क्लब को उसके आकार और क्षमता के आधार पर वोट करने की ताकत मिलती है..जबकि देश चलने के लिए जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है.
उसमे देश में बस जन्म लेना ही एक योग्यता है, और हर कोई बराबर का योग्य है...
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जरा सोचिये, इस प्रारूप पर यदि एक डॉक्टर या इंजिनियर को 4 वोट, ऍम. बी. ऐ / टीचर / स्नातक को 3 वोट , १२ वी पास को 2 वोट, और बाकी सबको १ वोट डालने को मिलें, तो क्या ये छोटी मोटी मौकापरस्त क्षेत्रीय पार्टी पनप पातीं ? तब क्या ये रेल में भर भर के रैली निकलतीं ? क्या ये मोल-भाव कि राजनीति होती ?
ये एक गंभीर विषय है जो पूरे भारत का भविष्य बदल देगा , प्रजातंत्र में एक गुणवत्ता लाएगा.
पर ये बस सोचने से नही होगा..
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जैसे में अपने दिन में से २ घंटे राष्ट्र के हित में सोचने में समर्पित करता हूँ, आप सब भी अगर ये भाव जगाएं तभी हम इस ओर एक कदम बढ़ सकेंगे.
यह एक सुझाव नहीं, एक विचार मात्र है. हम सभी इस दिशा में एक बार सोचना तो प्रारंभ करें, एक से एक विचार जन्म लेंगे और भारत फिर मुस्कुराएगा.और भारत जो मुस्काया तो विश्व भी मुस्काये बिना नहीं रहेगा. भारत की आदत ही पुरानी है, की हम तभी प्रसन्न रहते हैं जब सारे प्रसन्न रहें.
          जय भारती...
                                 जय श्री राम..
                                                         जय हिंद...
                                                                             प्रियंक..
                                                         
                                                                             ashithakur@yahoo.co.in

Wednesday, September 28, 2011

Goal

There is a goal for everything, every existing living creature has a goal. Every game has a goal, every action has a motive, every Life has a goal.. What? This we never thought of, did we? Naa.

I Bet, 99.9% of existing population never even cared to think about this topic, or may be it scares them. Human nature always avoids topics that are tough or beyond their reach. But to be successful we must accept challenges & search for the unanswered questions. Many people have a single principle, to live each day & save for the future. This is the best policy as far as worries are concerned, to live in present, but living without giving Life a thought is bad. Life of Humans is very different & too important to live like other living beings. We are not only born to survive or gain power, but the extra ability that we have is to gain knowledge & enhance our intelligence. But many think that didn't we learned enough in our school & college? Naa. Learning leads to education, where as Knowledge comes from experience & thinking. Even an animal teaches its kid to hunt, heal, hide & escape. Humans have this ability to think & learn. Why this knowledge is so important that we are emphasizing so much on it? and above all WHAT is this knowledge? This complicated question according to me has a single answer - Learning about our existence is the biggest knowledge. Our existence means Who are we, What are we, Why are we? Now, answers to these questions may differ from person to person, each time with experience when you ask these questions to your self, you'll get different answers.

When we are able to get all answers to all our questions, we can say that we are gaining knowledge. This alone is not your Goal, but gaining knowledge & implementing it practically in our Life will help you discover your goal and achieve it. This is not complicated at all. Easiest way to coach yourself is to give yourself some time. Away from other people, away from mobile & internet, away from memories & thoughts. Talk to yourself & stay in a state of blank, interaction will automatically start. This needs practice. This is not meditation, but interaction. Be your own friend, no one understands you better than yourself. Befriend yourself and you'll never feel lonely. 

Practice this thought process and all problems will become very small and they won't trouble you anymore. As you now know their reason & solution now. And your ultimate Goal? No, that you yourself must discover. I know, you will :)

:: Priyank Singh Thakur

Thursday, August 25, 2011

thank you Team Anna

i am a common man, a person with no big goals, with no big concerns. i earn my living to fulfill my and my family's needs. i do love my Nation, but i didn't devote time and energy for its betterment. Yes, because i am a common man. No one told me about my responsibilities, no one taught me my duties, it was not even in my syllabus.

i read newspapers, i watch TV news, i even discuss things with my friends apart from our usual talks. No one expect us to protest, its the work of political parties & organizations. No one wants us to protest, ours is a democratic system where we can vote our government, that's all.

i pay bribe to get a "birth certificate", i pay bribe to get a passport, i pay bribe to get a train reservation, i pay bribe to a traffic constable. All this is part of my routine & part of our system, i suppose, so i don't complain.

i see an elected leader (Parshad, Sarpanch, MLA, MP, etc) growing rich & richer rapidly. May be God gets kind on them & luck favors them or they get a "magic wand" once they win. Whatever, i didn't complain, that's not my duty.

Now who is this Anna Hazare & Team Anna? Why have they awakened our Youth & every Bharatiya i/c Me? Why i am liking this added duty to work for MY Nation & make it corruption free? All this has given me a self-esteem and "i" have grown to become "I". Now on, I will work to make my Bharat corruption free so that MY Bharat develops much faster & eradicates poverty and bring down prices. And yes, I want MY money back from foreign banks ASAP.

I am part of this new Bharat, thank you Team Anna..

Wednesday, June 15, 2011

यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो कैसा होता?

बहुत दिनों से, या यूँ कहूँ, जब से राजनीतिक होश संभाला है तब से यह सपना देखता आ रहा हूँ की मैं यदि प्रधानमंत्री होता, तो कैसा होता?

काश्मीर आतंकवाद का निबटारा & धारा 370 की समाप्ति, जन लोकपाल बिल को पास करवाना, अयोध्या- काशी- मथुरा को धार्मिक व नायायिक दृष्टि से हिन्दुओं को सौंपना, देश से आई.ए.एस के हाथों से सत्ता वापस विभागों के पास लाना और सारे कार्य प्रोफेशनल तरीके से कराना. 2 दलीय राजनीतिक संविधान लाना और प्रधानमंत्री का सीधे चुनाव कराना, आदि आदि. कितने काम करने हैं यारों. बस परमाणु ऊर्जा और बोईंग के सौदों का व्यापार करना ही उद्देश्य नहीं है मेरा.

प्रधानमंत्री माने की देश का सबसे ताकतवर व्यक्ति, माने की देश का सर्वोच्च शक्तिशाली पद (सर्वोच्च संविधानिक पद राष्ट्रपति का होता है, पर व्यावहारिक दृष्टि से प्रधानमंत्री ही सर्वोच्च पद होता है).. पर फिर कभी कभी ख्याल आता है की मात्र नाम का प्रधानमंत्री नहीं बनाना भाई, रबर स्टंप तो बिलकुल नहीं. वरना हाथ अट्ठन्नी भी नहीं आती और गालियाँ हजार सुननी पड़ती हैं. और अल्पमत सरकार तो बिलकुल भी नहीं, वरना सब्जी-भाजी जैसे सांसदों को कभी बस में बिठा के घुमाने ले जाओ, कभी सूटकेस थमाओ. और गठबंधन सरकार तो कभी भी नहीं, उस हालत में तो बेचारा प्रधानमंत्री उस पति जैसा होता है जिसकी 272 सासें उसके घर में आ कर बैठी होती हैं. 

मतलब की, मैं प्रधानमंत्री बनना भी चाहता हूँ, पर अपनी शर्तों पे. पूर्ण बहुमत के साथ, बहुमत भी तीन चौथाई. अब मैंने कुछ ज्यादा तो माँगा नहीं है! एक पदभार माँगा है, पूरे प्रभार और शक्ति के साथ. जो सारे सौदे, यानी के सारे निर्णय स्वयं ले. सारे कमीशन.. मतलब की, डिसीज़न उसके रहें. पर फिर एक खयाल आता है कि यदि प्रधानमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में ले आये तो? छोड़ो यार, हम बेरोज़गार ही अच्छे ;)
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Thursday, April 28, 2011

Autobiography of Bharat Varsh.. Written in 2050

Part of my new article, still incomplete..

1)
"मेरी समृद्धि देख लुटेरी प्रजातियों ने मुझपर आक्रमण करने शुरू किये. यह वो समय था जब गुप्त साम्राज्य समाप्ति पर था और अरब में मुस्लिम कबीलों की शक्ति बढ़ रही थी. तुर्किश आतातायी ग़ज़नी ने काबुल पर कब्ज़ा कर मुझपर लगातार हमले करने शुरू कर दिए. राणा प्रताप जैसे वीर राजाओं ने दर्जनों बार मुगलों को बुरी तरह हराया, पर सहृदय होने के कारण हर बार मुगलों को दया कर छोड़ दिया, इस भूल का नतीजा अंततः उनकी हार से हुआ. कहा जाता है कि मुग़ल मुख्यतः भारत इसलिए आते थे क्योंकि वो सनातन धर्म को अपना दुश्मन मानते थे. इसी कारण जहाँ जहाँ सनातन धर्म के मंदिर थे, वहां वहां उन क्रूर लुटेरों ने पहले हमला कर मंदिरों को तोड़ा और लूटा. जब सोमनाथ का मंदिर तोड़ा गया, तब लगभग 50,000 हिन्दुओं ने उसकी रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया. "

2)"मेरी गौरवशाली गाथा सम्राट भरत और चन्द्रगुप्त से है, अशोक से है, महाराजा रघु से है, शिवाजी से है. लाखों वर्ष के इतिहास में एक भी उदहारण ऐसा नहीं है कि भारत ने कभी किसी अन्य देश पर आक्रमण किया हो या उसका दमन - शोषण किया हो.. पर सभी देश भारत नहीं होते, सभी धर्म सनातन नहीं होते."

3) "अंग्रेजों की देन हमारा जन्मजात शत्रु - पाकिस्तान, अपने जन्म के साथ ही भारत के लिए सबसे बड़ा शत्रु बन गया. मैं भारत, अपनी स्वाधीनता को अच्छे से समझ भी नहीं पाया था कि मेरे शीश कश्मीर के बारामुला नगर में पाकिस्तानियों ने और अफगानी लुटेरों ने आक्रमण कर दिया. यह लुटेरे ट्रकों में आये थे. इन्होने वहां एक दिन में इतने अत्याचार किये कि मेरा दिल टूट गया. हर आदमी को मार डाला गया, हर स्त्री का सतीत्व लूटा गया, जो भी लूट लायक मिला वो ट्रकों में भर के पाकिस्तान ले गए. देश में राज्यों का अधिग्रहण का काम चल ही रहा था, पर कश्मीर के महाराजा ने अभी तक विलय नहीं किया था. पर इस बर्बर हमले को देख कर रात को ही महाराजा रणजीत सिंह ने पूर्ण विलय की कार्यवाही पूरी करी. अगली सुबह वायुसेना के हमलों से पाकिस्तानी उलटे पाँव वापस भागे. पर हमारे प्रधानमंत्री ने युद्ध विराम कि घोषणा करते हुए कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के हवाले कर दिया, कि हमारे देश का मामला आप सुलझाओ. हम युद्ध जीत गए थे, पर हारी हुई धरती पाकिस्तान के पास रहने दी कि संयुक्त राष्ट्र इसका निर्णय करेगा. यह मुस्लिम वोट तुष्टिकरण नीति की पहली भूल थी. "

friends.. This article is being modified, edited & still being written. Your suggestions are always welcome & needed..

regards.. : Priyank

Friday, April 15, 2011

qutub meenar is another Tejo Mahalay..

During my recent visit to Delhi (Dilli), i was not knowing that i would witness something that i never dreamed of, something contrary to what we were taught since childhood, something that all historians never argued. But again, i doubt, why a non-historian like me noticed so many things that all learned people ignored? or forced to ignore !! may be.. May be the same reason of not hanging the attacker of our parliament & mass murderer of 26/11.

Friends, all thanks to twitter and face Book where i came to know about all such things which our HRD ministry always tried to hide for their fake political mileage. here only i came to know about " YAMUNA STAMBH " for the 1st time & i argued with myself that this is rubbish. But when i went to Yamuna Stambh & i OBSERVED what i was hinted at, it was a shocker, a big shocker.

Yamuna Stambh, as even told in the Tourist Guide by Government of India, was built by King Prithviraj Chouhan for his daughter who used to offer her daily prayers to Yamuna river, it was for her to see Yamuna ji from this place. You are also thinking the same way as i thought of this whole idea, right? but think, why would a barbaric looter & general of muhammad ghori would built a monument in a place he knows he has to flee soon? more over, as told in tourist guide by government, it is said that the HINDU GODS are built by qutubuddeen because of influence of Brahmins, don't laugh dear, this is on record. Now no more write ups, look yourself and agree with me :-

1) Look at these Carvings, compare them with moghul architecture anywhere in this world. 



2) Look at these Hindu idols, tell me a single muslim place of worship. OK, leave worship place, any structure ever built by any muslim where they had Hindu idols built. Look :-



3) Now, you half agree with me that ok, there was a temple here & moghuls, like Ayodhya, Somnath, Mathura, Kashi, etc demolished this temple & built qutub meenar. So, here comes the final blow. in the following pictures, compare the carving on YAMUNA STAMBH. The original carving is Fine & Similar to other carvings on temple, but the other carving of urdu/ persian letters is done on a different surface, letters are rough & not anywhere comparable to original carving. See the surface, there must be Hindu Gods carved on this place which was leveled & these letters were pasted on this surface. Have a look :-





do i need to say anything more ? naa.. inne to samajhdar aap bhi ho.





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Monday, March 21, 2011

जीवन सार

हम सभी ने कभी ना कभी ये अवश्य सोचा है कि "मैं कौन हूँ?", "ये जीवन क्यों है?", "मृत्यु क्यों आती है?", "कष्ट क्यों होते हैं?", इत्यादि. आज मैंने सोचा चलो इन्ही जटिल सवालों को सोचने के साथ साथ लिख लिया जाए.
मैं स्वयं को विचारक या चिन्तक नहीं मानता, पर हाँ जीवित जरूर मानता हूँ. इसलिए, जो हूँ उसके बारे में सोचने की तो बनती है, है कि नहीं?
सबसे पहले आधार भूत सवाल, ये जीवन क्यों है? कभी कभी लगता है कि हम भगवान के लिए "टॉम & जेरी" से कम नहीं हैं. बस फर्क इतना है कि हमारे कार्टून रुपी जीवन के रचनाकार और दर्शक दोनों भगवान ही हैं. नहीं, ये व्यंगात्मक लेख नहीं है. अनेक दार्शनिकों ने लिखा है कि ये दुनिया आत्मा के लिए पाठशाला या परीक्षा होती है. आत्मा को हर सुख- दुःख से साक्षात्कार करवा के उसका स्तर बढाया जाता है ताकि वो अगले स्तर के लिए तैयार हो सके. फिर लगता है कि यदि आत्मा भी भगवान ने ही बनाई है और विभिन्न स्तर भी भगवान के ही रचित हैं तो फिर भगवान आत्मा को सीधे उच्च स्तर का ही क्यों नहीं रचते? फिर दूसरा विचार ये आता है कि जैसे हम अपने काम के लिए कंप्यूटर या मशीन बनाते हैं, वैसे ही भगवान ने हमको उनके काम करवाने के लिए रचा है. पर जब ये पूरी सृष्टि ही भगवान ने रची है तो ऐसा कौन सा काम है जो भगवान स्वयं ना कर के हमसे करवाना चाहते हैं? अंत में बस यही एक उत्तर समझ आता है कि हम निश्चित ही देवलोक के मनोरंजन हेतु निर्मित "टॉम & जेरी" ही हैं.
अगला प्रश्न "मैं कौन हूँ?". इस प्रश्न में पुछा गया "मैं" एक माया है, इस "मैं" के चक्कर में हम सारी ज़िन्दगी "मैं" से ही दूर रहते हैं. कहा गया है कि हम सब उस एक परमात्मा के अंश मात्र हैं. फिर भी हम हर उलझन, हर अड़चन, हर बात को अपना सर्वस्व मान कर स्वयं से ज़िन्दगी भर दूर रहते हैं. मेरे अनुसार: "मैं" और कुछ नहीं, वर्तमान क्षण मात्र है. आने वाला क्षण अभी आया नहीं और जो बीत चुका है, वो लौट के आना नहीं है, हमारी पहचान, हमारा जीवन, हमारा सब कुछ, बस ये एक क्षण है, ये एक पल है. "मैं" भी बस ये क्षण ही है. हम पूरी दुनिया को, हर दूसरे काम को उम्र भर महत्त्व देते हैं, पर स्वयं के साथ कभी वार्ता नहीं करते. कभी समय निकालो, खुद से बात करो, खुद से दोस्ती करो; आनंद आ जाएगा. अपने आप से अच्छा दोस्त और मार्गदर्शक दूसरा नहीं है. मुझे आज तक ऐसा सवाल नहीं मिला जिसका जवाब मुझे मेरे मन ने नहीं दिया. इस "मैं" को समय दो..
फिर आता है "कष्ट क्यों होते हैं?". कष्ट होना भी जीवन का भाग है. जब हमको सुख मिलता है तो हम कभी सवाल नहीं करते कि ये ख़ुशी क्यों मिली? है ना? फिर दुःख आते ही हम भगवान को क्यों कोसने लगते हैं? ना हम ये जानते हैं कि ये दुनिया कैसे बनी, क्यों बनी, किसने बनाई; ना ये जानते हैं कि भाग्य क्या होता है, आत्मा कहाँ से आती है, कहाँ जाती है. हम तो भगवान को तक नहीं मानते, फिर कष्ट होने पर उनको कोसते क्यों हैं? यदि हम इन सारी बातों पे भरोसा करें, भगवान पे भरोसा करें, तो हमको अपने आप शक्ति मिलेगी कि हम इस कष्ट से बहार आ सकें. पर हमारे लिए सबसे कठिन काम भी भरोसा करना ही है, वो भी भगवान पर!
अंतिम प्रश्न "मृत्यु क्यों आती है?" इस प्रश्न का सबसे सही उत्तर पहले के हर जवाब में है. फिर भी, आसान शब्दों में: इन्सान का सबसे बड़ा ढोंग यही है कि यह जानते हुए कि हर किसी को मरना है, वो सारी उम्र यही मान कर हर काम करता है कि वो अमर है. यदि हम मृत्यु को भी जन्म के जैसे स्वीकार कर लें, तो मृत्यु का भय ही समाप्त हो जाए. और मेरी बात मान लीजिये, ये दुनिया सुधर जायेगी. जब हमको यह एहसास रहेगा कि हमको एक दिन मरना है और खाली हाथ भगवान के दरबार में जाना है, तो अपने आप सारे अपराध, भ्रष्टाचार, दुःख, बीमारियाँ, सब समाप्त हो जायेंगी.
पूरे पोथे का सार यह है कि "वर्तमान में जीयो & भगवान पर भरोसा रखो".
राम आपके जीवन में सदविचार, स्वास्थ और सम्पन्नता बनाये रखें, आपका जीवन स्वतः सुखमय बीतेगा. नमस्कार : प्रियंक ठाकुर

Friday, March 11, 2011

Japan.. May God be with You

http://meri-rachna.blogspot.com/2011/03/blog-post.html