Thursday, December 25, 2008

समझो नाम हो गया

मुझे नब्ज़ टटोलने की, यूँ ही आदत नही है
थामा भी जिसका हाथ, उसे आराम हो गया .

मेज के ऊपर किसी ने, क्या कभी काम किए हैं?
मेज के नीचे जो लिया दाम, उसका काम हो गया.

मृत्यु और विवाह पर, लोग बहुत हैं आते
मजमा लगे सुबह शाम, समझो नाम हो गया.

हालात बदलने में, कुछ ख़ास कर नही पाया
मुझ जैसा खास व्यक्ति, कैसे यूँ आम हो गया?

सौ कौवों के सरदार, एक कौवे ने कह दिया
हुए ही नही राम, राम राम हो गया.

ऐसी खौलती बातें, आशी तौल के लिखना
अखबार न लिखें, कि काम तमाम हो गया



आशी


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Friday, December 19, 2008

अब्दुल रहमान अंतुले

एक सोची समझी साजिश के चलते अब्दुल रहमान अंतुले ने स्व. करकरे की वीरगति को अपमानित कर पुनः हिन्दुओं पर अपमानजनक आतंकी टिपण्णी करी है.
इसको यह न समझा जाए की इस आदमी ने ये बात आवेश मैं आ कर या अनजाने मैं कही हो. अब्दुल रहमान अंतुले, जो कांग्रेस मैं बीसियों साल से रोटी सेंक रहा है, भूलवश ऐसी भद्दी टिपण्णी नही कर सकता. ऐसा उसने अपनी आका के इशारे पर किया है. अब कारवाही के नाम पर आचार संहिता लागू होने मैं जब ३ माह बचे हैं, तब इस आदमी को निलंबित भी कर दिया जाए तो क्या फर्क पड़ता है !
फर्क पड़ना चाहिए आपको & हमको. जो यह आसानी से भुला बैठते हैं की इस राजनेतिक दल ने निरंतर हिन्दुओं को अपमानित करने का काम किया है.
१- श्री राम जन्म भूमि पर ४०० वर्षों से लगातार हिंदू विरोधी काम करना,
२- श्री राम सेतु मुद्दे पर भगवन राम के अस्तित्व पर हलफनामा देना,
३- हलफनामे को वापस लेना & यह कहना की सेतु श्री राम ने स्वयम ही तोड़ दिया था,
४- बाबा अमरनाथ समिति को जमीन दे कर वापस लेना,
५- ओडिसा मैं स्वामी लक्ष्मणानंद जी के हत्यारों को संरक्षण & पुनः हिन्दुओं पर ही आरोप लगना,
६- साध्वी प्रज्ञा & अभिनव भारत को मलेगओं बोम्ब काण्ड मैं झूठा फ़साना & ऐ. टी. एस द्वारा रोज किसी भद्दी अप्रमाणित ख़बर को मीडिया द्वारा प्रसारित करना,
७- हिंदू आतंकवाद जैसा घटिया शब्द का आविष्कार करना
& अब स्व. करकरे की हत्या का आरोप लगना.

न्याय करने कलि अवतार जब आयेंगे तब आयेंगे.
नर्क में ये कपटी जो सजा पायेंगे सो पायेंगे.
अभी इनका निर्णय & निश्चय आपको करना है.
पुनः, गोल्डफिश की भाँती "आगे पाठ - पीछे सपाट" न हो, इनके कुकर्मो को याद रखें & सजा दें.
घर बैठे गुस्सा होने से कुछ नही होने वाला.
क्रोध ऐसा हो जो असर दिखाए.
जय श्री राम
प्रियंक ठाकुर
जबलपुर