Thursday, February 26, 2009

जीतेगी भाजपा - जीतेगा भारत .. पर कैसे !

बड़ा आसान और साधारण सा लगने वाला नारा "जीतेगी भाजपा तो जीतेगा भारत" भारतीय जनता पार्टी ने क्यों चुना ?
एक पार्टी के चुनाव जीतने से एक देश कैसे जीत सकता है? ये तो मात्र उनके समर्थकों और कार्यकर्ताओं की जीत हुई. फिर भारत कैसे जीता ? क्या भाजपा जैसी सबसे बड़ी पार्टी मतदाताओं को रिझाने के लिए ये नारा दे रही है ! क्या मतदाता इतने मूर्ख हैं की वो सोचेंगे नहीं कि भारत कैसे जीता.. भारत तो हर चुनाव में अरबों रुपये हारता है, लाखों कामकाजी घंटे व्यर्थ होते हैं, हिंसा होती है, भारत कैसे जीता ..
पर फिर सोचने पर इसलिए मजबूर हो जाते हैं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी जैसी जिम्मेदार राजनीतिक पार्टी ने कुछ तो विचार किया होगा इस नारे को देने से पहले ..
भाजपा के जीतने से भारत तो तभी जीतेगा जब भाजपा भारतीय मूल्यों का आदर विश्व में पुनर्स्थापित करे,
भाजपा के जीतने से भारत तभी खुश होगा यदि भाजपा भारत को इंडिया से पुनः भारत बनाये.. अब इंडिया और भारत में क्या अंतर है? आपने कभी एक आदमी के दो नाम सुने हैं क्या? क्या श्री अटल बिहारी वाजपेई और लाल कृष्ण अडवाणी एक आदमी का नाम हो सकता है? नहीं न, तो ये अनूठा उदाहरण या यूँ कहें ये अजूबा भारत में ही क्यों? अंग्रेज भारत से भारतीयता मिटाना चाहते थे, तो उन्होंने भारत की संस्कृति, शिक्षा, धर्म आदि पर चौतरफा वार किया. उसी का एक स्वरुप है हमारे देश का पुनः नामकरण होना. हम बम्बई को मुंबई और मद्रास को चेन्नई बना चुके हैं, पर इंडिया को भारत कब बनाएँगे, ये कार्य बहुप्रतीक्षित है.

क्या भाजपा इंडिया को भारत बना पाएगी?
क्या भाजपा प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली को पुनः स्थापित करा पायेगी ?
क्या भाजपा आर्थिक द्रिष्टिकोण के अलावा मूलभूत सुविधाओं को पूरा करेगी?
यदि ऐसा कर सकी तो मात्र ये चार शब्द का नारा अपने आप मैं पूर्ण है के जीतेगी भाजपा-जीतेगा भारत .

पर ये सारी बातों की सम्भावना कांग्रेस से तो करना और सोचना भी पाप है.
जो पार्टी बनाई ही एक विदेशी ( मि. ह्यूम ) द्वारा गयी हो उस से स्वदेशी हित मैं कार्य करना मुंगेरीलाल के सपने सामान है.
जिस राजनीतिक दल ने अपने नेता को प्रधानमंत्री बनाने के लिए राष्ट्र का विभाजन स्वीकार कर लिया उस से राष्ट्र हित की बात करना अन्याय है.

भाजपा ने श्री अटल जी के समय प्रधान मंत्री ग्राम सड़क परियोजना के तहत सभी गावों मैं ऐसी सपाट सड़कें बनवा दीं, कि जो व्यक्ति कभी अपने गाँव जाता तक नहीं था, आज वह गाँव में और खेत खरीदने को आतुर रहता है. भारतीय नागरिक कभी ट्रेन के अलावा सड़क यात्रा करने से भय खाते थे, क्योंकि सड़कों की यात्रा यानि गड्ढों की यात्रा. पर स्वर्ण चतुर्भुज परियोजना से पूरा भारत आज सड़क मार्ग द्वारा हर एक की पहुँच मैं आ गया है. पर्यटन, व्यवसाय, कृषि सब फल फूल रहा है.

पर अभी भी इंडिया को भारत बनाना बाकी है.
अभी भी भारत का जीतना बाकी है

पर आशा करना बुरी बात नहीं है
और आशा भी उन्ही से करनी चाहिए जो उसको पूरा करने की क्षमता रखते हों.
इन्ही सब बातों को सोच कर लगता है की
शायद इस बार लाल कृष्ण अडवाणी जी के साथ साथ भाजपा और भारत दोनों जीतेंगे.

शुभकामनाओं के साथ
श्री राम और बाबा अमरनाथ के आशीर्वादों की अपेक्षा सहित
आपका अपना भारतीय बन्धु

जबलपुर से
प्रियंक ठाकुर
9826114151
ashithakur@yahoo.co.in






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Tuesday, February 24, 2009

Congratulations to congress

With due respect & praises for A. R. Rehman, Gulzar, Pookutty & whole team for winning Oscars this year..





Creator of Indian Slumdog

As said by congress spokes person abhishek singhvi ( from indiatimes - 24th Feb - 2009) -
after sonia gandhi party spokesman Abhishek Singhvi went a few steps ahead and termed Slumdog Millionaire “a film of India, for India , by India” and talked about the “conducive atmosphere with emphasis on good governance contributing to an achieving India”.

let the congress & abhishek singhvi celebrate "slumdog".
But taking its credit is too realistic for them, as they are responsible for the condition of people living in slums today. As said by noted musician Adesh Shrivastav, he has stopped going on streets in foreign, as now people there refer to Indians as SLUMDOGS.. So, again congratulations.
because of their divide & rule policy & let the poor be poorer, people have not recovered from their drastic condition.
congress never tried to improve their living condition & educate them, because they know, educated Indian never votes for congress.

so, singhvi ji, three cheers for you
let the party continue

as per congress tradition

may God fulfills your wish for more such slumdogs..

Jai Hind