Friday, December 20, 2013

मैं भारत हूँ (part 1)

मैं भारत हूँ. 
समृद्ध, ऐतिहासिक, सम्पूर्ण, आध्यात्मिक भारत.

हजारों साल का इतिहास कहना छोटी बात होगी, मेरा अस्तित्व तो तब से है जब से मानवता बनी है.
मुझमे सभी देव वास करते हैं, मैं वो धन्य राष्ट्र हूँ. 

ऋषि मुनियों की धरती जहाँ चारों वेद लिखे गए, जहाँ कैलाश में भोलेनाथ का वास है, जहाँ विष्णु अवतार श्री राम और कृष्ण हुए. मैं वो कृतग्य राष्ट्र हूँ.

मेरी गौरवशाली गाथा सम्राट भरत और चन्द्रगुप्त से है, अशोक से है, महाराजा रघु से है, शिवाजी से है. 
लाखों वर्ष के इतिहास में एक भी उदहारण नहीं है कि भारत ने कभी किसी अन्य देश पे आक्रमण किया हो या उसका दमन - शोषण किया हो.. पर सभी देश भारत नहीं होते, सभी धर्म सनातन नहीं होते.

मेरी समृद्धि देख लुटेरी प्रजातियों ने मुझपर आक्रमण करने शुरू किये. यह वो समय था जब गुप्त साम्राज्य समाप्ति पर था और अरब में मुस्लिम कबीलों की शक्ति बढ़ रही थी. तुर्किश आतातायी ग़ज़नी ने काबुल पर कब्ज़ा कर मुझपर लगातार हमले करने शुरू कर दिए थे. राणा प्रताप जैसे वीर राजाओं ने दर्जनों बार मुगलों के बुरी तरह हराया, पर सहृदय होने के कारण हर बार मुगलों दया कर छोड़ दिया, इस भूल का नतीजा अंततः उनकी हार से हुआ. कहा जाता है कि मुग़ल भारत इसलिए आते थे क्योंकि वो सनातन धर्म को अपना दुश्मन मानते थे. इसी कारण जहाँ जहाँ सनातन धर्म के मंदिर थे, वहां वहां उन क्रूर लुटेरों ने पहले हमला कर मंदिरों को तोड़ा और लूटा. जब सोमनाथ का मंदिर तोड़ा गया, तब कहा जाता है 50,000 हिन्दुओं ने उसकी रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर किये. फिर तो साल दर साल हमले होते गए, बाबर ने तो बर्बरता कि नयी मिसालें कायम करीं. अयोध्या का मंदिर तोड़ के वहां मस्जिद बनायीं. मथुरा में तो मंदिर के ऊपर ही मस्जिद बना डाली. हर हमले में लाखों निहत्थे लोग मारे जाते, स्त्रियों पे वर्णित न करने जैसे अत्याचार होते. 

मुगलों के घिनोने अत्याचारों के कारण ही भारत में बाल विवाह और सटी प्रथा जैसी कुरीतियाँ प्रारंभ हुईं. हमारी मातृशक्ति ने अपने सतीत्व कि रक्षा करने अपने प्राणों की आहुति दी. जलील जलालुद्दीन अकबर ने आर्य राजाओं को हराने के बाद उनको पूरे राज्य के साथ मुस्लिम धर्म अपनाने को कहा जाता, अन्यथा उस राजा को उसकी सेना समेत मार डाला जाता. पर भारत तब भी जीवित था, मैं तब भी यह काल का क्रूर खेल देखता रहा. पर अभी तो अत्याचार अपने चरम पे आने बाकी थे. मुग़ल यह समझ गए कि भारतीय अपने प्राण देने में नहीं हिचकते, पर वो अपना धर्म जीते जी नहीं छोड़ेंगे. औरंगजेब की तो मरते मरते यह इच्छा रह गयी थी कि वो भारत को पूर्णतः मुस्लिम देश नहीं बना पाया. तब तक व्यापारी लुटेरे अंग्रेज मेरी धन सम्पदा को लूटने दक्षिण से भीतर आ चुके थे. मुग़ल क्रूर थे तो अंग्रेज धूर्त. 

18वीं सदी तक अंग्रेज गंधार से बर्मा तक और तिब्बत से लंका तक मेरे सम्पूर्ण स्वरुप पर ब्रिटिश राज स्थापित कर चुके थे. मुग़ल भारत को मुस्लिम बनाना चाहते थे, तो ब्रिटिश ईसाई. पर जिस बेदर्दी से अंग्रेजों ने भारत को लूटा है, मेरी वैसी दशा किसी अन्य लुटेरे ने नहीं करी थी. अकेले कोलकता से २०० जहाज भर के सोना लूट के इंग्लैंड ले जाया गया था. मेरे वीर पुत्रों ने मुझे स्वाधीन करने बहुत संघर्ष किया. कहा जाता है कि लगभग एक करोड़ भारतीय बलिदान हुए अंग्रेजो से इस स्वाधीनता के आन्दोलन में. यह आंकड़ा 1857 से 1947 तक का ही है. मेरठ में आन्दोलन के बाद पूरे नगर के सभी आदमियों को (7 साल के बालक से ले कर 70 साल के वृद्ध ) बेरहमी से मार डाला गया. ऐसा ही क्रूरतम कृत्य हर उस नगर में हुआ जहाँ जहाँ आन्दोलन हुआ था. पर मेरे स्वाधीन भारत में क्या सिखाया जाता है? कि स्वाधीनता कि लड़ाई में चोरा-चोरी पुलिस थाने में 4 -5 पुलिस वालों को आन्दोलन कारियों ने मार डाला! अंग्रेजों के द्वारा मारे गए एक करोड़ भारतीयों का कोई जिक्र नहीं? क्यों न हो, इतिहास तो उन्ही ने लिखा है न. उन्ही की शिक्षा प्रणाली हम आज तक पढ़ और पढ़ा रहे हैं, तो कैसी शिकायत?

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों की हालत बहुत पतली हो गयी और उनको भारत पे राज करना महंगा पड़ने लगा. तब उन्होंने अपने दुष्ट दिमाग की उपज से यह सोचा कि यदि भारत को स्वाधीन कर दिया जाए, तो यह पुनः शक्तिशाली बन कर हमारा शत्रु न बन जाए. इसलिए उन्होंने मेरा विभाजन कर दिया और धर्म के आधार पर मुस्लिम देश पाकिस्तान बना दिया. वो भी एक पाकिस्तान पूर्व दिशा में, एक पाकिस्तान पश्चिम दिशा में. और अंग्रेजी संस्कृति के पाले बढे कांग्रेसी नेता जवाहरलाल नेहरु को भारत का प्रधानमंत्री बना दिया. जी हाँ, ये वही नेहरु हैं जिन्होंने रामायण और महाभारत को काल्पनिक कथा कहा और जिन ने कहा कि मैं जन्म से हिन्दू हूँ पर कर्म से अंग्रेज. 

अंग्रेजों की देन हमारा जन्मजात शत्रु, पाकिस्तान, अपने जन्म के साथ ही भारत के लिए सबसे बड़ा शत्रु बन गया. मैं अपनी स्वाधीनता को अच्छे से समझ भी नहीं पाया था कि मेरे शीश कश्मीर के बारामुला नगर में पाकिस्तानियों ने और अफगानी लुटेरों ने आक्रमण कर दिया. यह लुटेरे ट्रकों में आये थे. इन्होने वहां एक दिन में इतने अत्याचार किये कि मेरा दिल टूट गया. हर आदमी को मार डाला गया, हर स्त्री का सतीत्व लूटा गया, जो भी लूट लायक मिला वो ट्रकों में भर के पाकिस्तान ले गए. देश में राज्यों का अधिग्रहण का काम चल ही रहा था, पर कश्मीर के महाराजा ने अभी तक विलय नहीं किया था. पर इस बर्बर हमले को देख कर रात को ही महाराजा रणजीत सिंह ने पूर्ण विलय की कार्यवाही पूरी करी. अगली सुबह वायुसेना के हमलों से पाकिस्तानी उलटे पाऊँ वापस भागे. पर हमारे प्रधानमंत्री ने युद्ध विराम कि घोषणा करते हुए कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के हवाले कर दिया, कि हमारे देश का मामला आप सुलझाओ. हम युद्ध जीत गए थे, पर हारी हुई धरती पाकिस्तान के पास रहने दी कि संयुक्त राष्ट्र इसका निर्णय करेगा. यह मुस्लिम वोट तुष्टिकरण नीति की पहली भूल थी. 



(to be continued..)


Priyank Thakur