Thursday, January 11, 2024

कम खाऊँ या सारा खा जाऊँ ❓

ऐसे कैसे खाना हो गया 

एक रोटी तो और ले लो 

चावल लोगे? मिठाई तो खानी ही पड़ेगी 

बहुत कम खा रहे हो आजकल 

यह कोई डाइटिंग करने की उम्र है क्या 


ऐसी बातें करके हम हमारे अपनों को ठूस ठूस कर खिलाते हैं, पर क्या हम जानते हैं कि अधिक भोजन फायदा कम नुकसान ज्यादा करता है 

आयुर्वेद कहता है कि जितनी भूख हो उससे कम खाओ, प्रकृति रहती है कि मनुष्य की प्रवृत्ति है सूर्यास्त होने के बाद हमें कुछ खाना नहीं चाहिए

 जबकि हम रात में रात 11 - 12 - 1:00 बजे तक पार्टी करते हैं, खाते हैं 

क्या आप जानते हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले पूरे भारत में इतना अच्छा अनुशासन था की सूर्यास्त के बाद कोई खता नहीं था, डिनर जैसी कोई चीज ही नहीं थी और प्रातः 4:00 बजे उठकर पहला भोजन सूर्योदय के साथ 6-7 बजे तक हो जाता था

 हमारे पेट का साइज आपको पता है कितना है? हमारी दोनों हथेलियां को जोड़ेंगे उसमें जितना भोजन आएगा वह हमारे पेट का साइज है। 

उससे ज्यादा हम अगर खाते हैं तो वह भोजन की नली में ही रुका रहता है तभी ज्यादा खाना खाने पर uneasy फील करते हैं, यह अच्छी बात थोड़ी है. 

जो खाना जो भोजन पचता नहीं है वह विश का काम करता है, तो क्या आप चाहते हैं कि अपने स्नेही जनों को जो आप इतने प्यार से भर भर के भोजन करा रहे हैं वह उनके लिए जहर जैसे कम करे? उनका स्वास्थ्य खराब करें? 

हम क्या खिला रहे हैं इस पर तो ध्यान देना ही चाहिए पर कितना मिला रहे हैं इस पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए

 अगर छोटे बच्चे हैं तो एक हद तक उनको बोलना टोकना ठीक है, पर बड़ों को खाने में जबरदस्ती करना बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं 

यह बात आपके अपने ऊपर भी फिट बैठती है, हम हमारे पाचन तंत्र को हमारे पेट को हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को हम कभी आराम ही नहीं देते। जब से पैदा हुए हैं तब से रोज खा रहे हैं

 मैंने अभी पिछले साल सतगुरु का एक वीडियो देखा था जिसमें उन्होंने यही बात कही थी कि हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को आराम देना बहुत जरूरी है और उसके लिए भगवान ने एक दिन बनाया है, एकादशी का.. इस दिन हमें प्राकृतिक रूप से भोजन की आवश्यकता नहीं रहती

 हम बड़े आराम से बिना कुछ खाए पिए दिन भर रह सकते हैं तब से एक साल हो गया मैं हर महीने दो बार हर एकादशी में निराहार रहता हूं

 पूरा नियम तो फॉलो नहीं कर पता मगर 24 घंटे कुछ भी नहीं खाता, फलाहार भी नहीं फल भी नहीं 


धीरे-धीरे कोशिश करूंगा कि अगले दिन की सवेरे पारण तक इस नियम को ले जाऊँ.. 

इससे पहले मैंने कभी व्रत नहीं रखे, नवरात्रि में, शिवरात्रि में भी अगर आधे दिन का उपवास रख लो तो बुरी हालत हो जाती थी. 

मगर एकादशी में मेरे को कभी भी कोई दिक्कत नहीं आई, यहां तक की निर्जला एकादशी में बिना पानी पिए भी रात तक मैं आराम से ही था

 महाभारत main Shri Krishna Ne Matra Ek Dana चावल का खाकर पूरे संसार का पेट भर दिया था, हम क्यों इतना भर भर के खाते हैं 

और सबसे बड़ी बात है कि हमें हमारे शरीर की सुननी चाहिए 

उसे भूख लगी है कि नहीं 

उसे भोजन चाहिए? पानी चाहिए? जो लोग गिनती कर करके पानी पीते हैं इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं.. यह  पश्चिमी एलोपैथी एक्सपेरिमेंट थे कि दिन में आपको 5 लीटर पानी 7 लीटर पानी पीना है

 इससे आपके शरीर में जो आवश्यक एलिमेंट्स होते हैं वह पानी के साथ बह जाते हैं, निकल जाते हैं. 

राजीव दीक्षित जी ने कहा है की पानी आप अच्छे से पियो मगर बार-बार नहीं

 भले ही आप दिन में चार बार पिओ दो-दो गिलास पी लो, मगर हर आधे घंटे में पानी पी रहे हो तो यह अच्छी बात नहीं इसके लिए भी फिर कह रहा हूं की लकीर के फकीर ना बने, अपने शरीर की सुनें। जब प्यास लगे तब पिए बस नियम बांधकर कि हमको पानी पीना ही है एक बोतल खत्म करनी है इस पर मत चले 

अंत में ध्यान रखें, कम खाने वाला कभी बीमार नहीं पड़ता

 नमस्कार