Thursday, September 30, 2010

श्री राम मंदिर और भारत

आज आधुनिक भारत की युवा पीड़ी, जो की हर मायने में दुनिया के किसी भी देश से कहीं आगे है, शायद श्री राम मंदिर से दूरी बनाने में ही समझदारी समझे, जो की सही भी है. सही इसीलिए है क्योंकि हमारे युवाओं को उनके मम्मी-पापा ने ना तो भगवान राम जी के बारे में ज्यादा बताया और ना ही उनके स्कूल ने. मम्मी-पापा को या तो धार्मिक बातें out of date लगती थीं या उनके पास समय की कमी रही होगी. या तो हमारे शैक्षणिक व्यवस्था में भारत के सुनहरे अतीत को ना बताना एक कारण है, या फिर हम गुलामी के इतने आदि हो चुके हैं की हमे इस से निकलने में कई पीड़ियाँ लग जाएंगी. हाँ, मिशनरी स्कूलों में पढने वाले ये युवा, इसाई धर्म के बारे में हिंदुत्व से अधिक जानते होंगे, ये बात सब जानते हैं.

धार्मिक होना युवाओं या शिक्षितों को शायद आधुनिक ना लगे.
पर अमेरिका में ट्विन टावर के स्थान के पास मस्जिद बनाने को लेकर इतना भरी विरोध क्यों? अमेरिका तो सारे युवाओं का भगवान है, वहां धर्म को लेकर बवाल ?
यूरोप में तो एक पादरी ने कुरान को सरेआम जलाने की बात कह डाली, यूरोप & इसाई तो आधुनिकता के प्रहरी हैं?
दुबई में शानदार भवन और बेशुमार पैसा है, पर वहां शराब पीना सख्त माना है, दुबई जैसे ओपन मार्केट में मजहब के नाम पे शराब बंद ?
फ्रांस, जो की फैशन की राजधानी कहा जाता है, वहां संसद ने क़ानून बना के बुर्के पर पाबंदी लगा दी?
हमारे युवाओं के तो सारे आदर्श बेकार निकले ? या हमारे युवा ही आँख पे पट्टी बांधे गलत राह थामे हुए थे ! बिना धर्म के राज नहीं चलता, ना चला है, ना चलेगा. इतिहास गवाह है, हजारों साल से भारत में हर राज्य में राजगुरु होते थे, जिनका प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रूप से राज-काज में दखल रहता था. आगे भी रहेगा. बिना धर्म के सहारे कर्म नहीं चल सकता.

खैर, श्री राम जन्म भूमि विवाद राष्ट्र हित में इसलिए है, क्योंकि ये एक विदेशी आक्रान्ता बाबर के बर्बरतापूर्वक किये गए अत्याचारों का प्रतीक है. मोहम्मद घोरी, घज्नवी आदि ने जब जब भारत पे आक्रमण किया उन्होंने सबसे पहले धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया, सोमनाथ का मंदिर एक उदाहरण है. मंदिर में लगे आभूषण और स्वर्ण कलश लूटना मात्र उद्देश्य नहीं होता था, वहां लगी मूर्तियों को और मंदिर को बुरी तरह से अपमानित कर के तोड़ा जाता था. ये पूरा प्रयास होता था कि किसी तरह हिन्दुओं को मानसिक तौर पे इतना कमजोर बना दें की वो इस्लाम अपना कर अपनी जान बचाएँ. पर जिस तरह इरान, इराक, अफ़घानिस्तान, ईजिप्ट आदि पर कब्जे के 15 -50 वर्ष में ही पूर्णतः इस्लामीकरण कर दिया गया, वहीँ भारत में 500 वर्ष तक लगातार आक्रमण & लूट और 250 वर्ष के कब्जे के बाद भी स्वतंत्रता तक भारत में 90 % हिन्दू थे. 800 वर्ष के इस्लामिक कब्जे और 200 साल के इंग्लैंड के अत्याचार के बाद भी भारत आज पुनः विश्व के शीर्ष राष्ट्रों में खड़ा है.

पर आज के आधुनिक मायाजाल में हम इतिहास के भव्य हजारों साल नहीं झुठला सकते. वैसे ही जो अपमान बाबर ने श्री राम के अयोध्या स्थित मंदिर को तोड़ कर उसके ऊपर मस्जिद बना कर किया, वो अपमान भी नहीं भुलाया जा सकता. वो भी तब, जब वो अत्याचारी विदेशी आतंकवादी बाबर के नाम पर बनी मस्जिद श्री राम जन्मभूमि पर सीना ताने, हमारे धर्म और पुरुषार्थ को चिढाते हुए खड़ी थी. लगभग 500 वर्ष पहले हुए इस अत्याचार के ऊपर आज जो निर्णय माननीय नयायालय ने सुनाया है वो ना सिर्फ भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि बाबर के नाम पर एक तमाचा भी है. कि चाहे न्याय 500 साल में आये, पर भारत में ना तो न्याय हारा है और ना ही हिन्दू धर्म.

आज जो युवा राम जन्म भूमि पर बिना सोचे समझे कह देते हैं कि इस स्थान पे अनाथालय बनवा दो या अस्पताल बनवा दो उन्होंने ना तो बाबर जैसों के अत्याचार देखे हैं और ना ही उनको धर्म की कुछ समझ है. हिंदुत्व क्या है, ये पाकिस्तान और अफ़घानिस्तान में तालिबान के हाथों अपमानित / मृत लोगों से, उनके परिजनों से पूछो. ना सिर्फ हिन्दू, कट्टरपंथी मुस्लिम तो अपने धर्म की औरतों को भी नहीं छोड़ते और जानवरों से बदतर स्थिति में उनको रखा जाता है. ऐसे में अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बाबर / औरंगजेब के समय किस हद का अत्याचार होता होगा.. हजारों लोग बस इसलिए अपने प्राण दे देते थे कि उनके धर्म पे आंच ना आये. ये उनके प्रतापी बलिदान का उपकार है कि पूरे मध्य एशिया को इस्लामीकरण कर चुके और भारत पे सैकड़ों वर्ष राज कर चुके मुस्लिम शासक भारत से हिंदुत्व को नहीं मिटा पाए. राम मंदिर उन बलिदानियों के धर्म का प्रतीक बनेगा.

श्री राम जब वनवास से अयोध्या लौटे तब समय अंतराल 14 वर्ष था, श्री राम जन्म भूमि को पुनः मुक्त होने में 500 साल लगे हैं, इस बार तो दीपावली कई वर्षों तक प्रतिदिन चलनी चाहिए. ये जीत ना सिर्फ हिन्दुओं की है, बल्कि सभी भारतीय मुस्लिम और इसाई भाई भी इस जीत के हकदार हैं. क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व की वो सहृदयता देखी है कि अयोध्या, मथुरा & काशी में हिन्दुओं के महानतम तीर्थों पर अपमानित होने पर भी हिन्दुओं ने उनको अपने से बढ़ कर अपनत्व दिया. ऐसा उदाहरण किसी भी अन्य देश में ना कभी देखा गया है & ना देखा जाएगा कि, 90 % जनसँख्या वाला धर्म 10 % कि धार्मिक आस्था को ठेस ना पहुंचे, इस कारण अनेकानेक कार्य न्याय कि प्रणाली से, धर्म और शांति से कर रहा है.
पाकिस्तान में 60 सालों में हिन्दू 25 % से कम हो के एक % रह गए, बंगलादेश में 30 % से 7 %, और भारत में 90 % से 83 % ये हिन्दुओं कि सहनशीलता, सहृदयता & मानवता है. इसके बाद भी यदि भारत & हिंदुत्व आज भी विश्व में सबसे अधिक सम्मान पता है तो इसके पीछे अवश्य भगवान राम का आशीर्वाद ही है. बिना दैवीय शक्ति के इतने आक्रमण और समस्याओं के बाद भी आज तक विश्व गुरु का मान बनाये रखना सामान्य मानव या धर्म के बस की बात नहीं थी.

हमारे यहाँ एक-एक राजा के राज्य कि अवधि 150 - 200 साल होती थी, उसके मुकाबले स्वतंत्रता प्राप्ति के ये 63 साल कुछ भी नहीं हैं. अतः, हमे इतिहास को अच्छे से पढना चाहिए और उस से हमारे गौरव शाली इतिहास से सीख लेनी चाहिए. हमारे स्कूलों में बस हमारे गुलामी के समय को पढाया जाता है, हमे इसके पहले के समय को पढ़कर कर देखना चाहिए कि हम में क्या बात थी कि हजारों साल बाद भी विश्व हमारा लोहा मानता है.

आवश्यकता है, कि हम हमारे इतिहास को पढ़ें - समझें. संस्कृति और धर्म को हमारे जीवन में अपनाएं. मंदिर तो प्रतीक हैं, प्रभु की सीखों को अपना आदर्श बनायें. और हमारे हर कार्य का अंतिम लक्ष्य राष्ट्र को इतना वैभवशाली और शक्तिशाली बनाना होना चाहिए कि दोबारा कभी कोई बाबर सपने में भी भारत की ओर आँख उठा के ना देख सके. उस वीरता का प्रतीक बनेगा ये अयोध्या स्थित श्री राम मंदिर. .

जय श्री राम..


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1 comment:

DEVSACHIN said...

bahut hi shandaar baat khi hai aapne..krupaya ise jan-jan tak pahuchane ka kaam bhi kre..it will be effective