मुझे नब्ज़ टटोलने की, यूँ ही आदत नही है
थामा भी जिसका हाथ, उसे आराम हो गया .
मेज के ऊपर किसी ने, क्या कभी काम किए हैं?
मेज के नीचे जो लिया दाम, उसका काम हो गया.
मृत्यु और विवाह पर, लोग बहुत हैं आते
मजमा लगे सुबह शाम, समझो नाम हो गया.
हालात बदलने में, कुछ ख़ास कर नही पाया
मुझ जैसा खास व्यक्ति, कैसे यूँ आम हो गया?
सौ कौवों के सरदार, एक कौवे ने कह दिया
हुए ही नही राम, राम राम हो गया.
ऐसी खौलती बातें, आशी तौल के लिखना
अखबार न लिखें, कि काम तमाम हो गया
आशी
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Thursday, December 25, 2008
समझो नाम हो गया
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