भाषा में शुद्धिकरण की आवश्यकता !
इसकी आवश्यकता क्यों? क्या ये भी कट्टरता का प्रतीक है!
ना
हर भाषा समृद्ध है, संस्कृत सारी भाषाओँ की जननी है.. उर्दू का शायराना अंदाज़ सबको भाता है.. अंग्रेजी की सरलता अच्छी लगती है.. पर कुछ दिन पूर्व मैं एक शब्द का हिंदी अनुवाद जानना चाह रहा था तो मुझे वो शब्द नहीं मिल पा रहा था. तब मैंने एक वाक्य मात्र हिंदी के शब्दों को उपयोग कर के कहने का असफल प्रयास किया.
ये त्रुटी हमारे शैक्षणिक ढाँचे में है. इसके प्रति दायित्व भी हमारा है कि हम कुछ तो विरोध करें. कुछ तो प्रयास करें. आज ये समस्या है, कल ये बीमारी हो जाएगी. फिर हम कहाँ से लायेंगे कवि और साहित्यकार ?
मैंने कक्षा ३ की हिंदी की पुस्तक को उठाया, शब्द अर्थ में प्रकृति के लिए मौसम और कुदरत दिया है.. देश के लिए मुल्क दिया है.. साहस के लिए हिम्मत और उपस्थित के लिए हाज़िर दिया है.. आदि आदि .
ये उदहारण हैं NCERT द्वारा अधिकृत मधुबन प्रकाशन के. और मुझे पूर्ण विश्वास है कि ये अचम्भे सभी प्रकाशनों में मिल जायेंगे.
प्रश्न ये है, कि हम उर्दू सीख रहे हैं कि हिंदी ? इस प्रकार हम हिंदी का भविष्य कैसे उज्जवल कर पाएंगे? क्या हिंदी और उर्दू दोनों को मिश्रित कर ये एक नयी कांग्रेसी चालू देसी भाषा तैयार हुई है?
इस समाज और राष्ट्र में हमने सबको अंगीकार कर लिया, चाहे वो संस्कृति हो, चाहे भाषा हो, चाहे धर्म हो..
कहीं कट्टरता नहीं है. पर भाषा को अशुद्ध करने से तो भाषा का अंत हो जाएगा..
इस में कोई मानवाधिकार वाले या धर्मनिरपेक्षता वाले हल्ला क्यों नहीं मचा रहे?
ये मेरी मात्रभाषा के भविष्य से खिलवाड़ है, ये मेरे राष्ट्र के छात्रों से खिलवाड़ है, ये मेरी भावनाओं के साथ खिलवाड़ है..
इस विरोध को हमे हर स्तर पे दर्ज करना होगा.
जो हमारे शैक्षणिक विभाग के अफसर और मंत्री हैं वो भी मानव हैं.. और मानवीय त्रुटियों को सुधार जा सकता है..
इसी भरोसे के साथ..
हिंदी के प्रति संवेदनशील आपके बंधू
प्रियंक ठाकुर
जबलपुर
Friday, April 2, 2010
hindi needs your help..
2/04/2010
Subscribe to:
Posts (Atom)